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पासे

चलो दो पासे ऐसे बनाये
जिनके छहों पीठों पर
एक ही एक हो.

कि कम से कम
खेल में तो
कोई मज़हब न हो.
ऊंच नीच की सरहद न हो.
जिसका मकसद नेक हो.

जिनके छहों पीठों पर
एक ही एक हो.

फिर हम ख़ुदा को शायद
और न दे कोई तकलीफ...
GOD, राम, अल्लाह के चोलों से,
उसको भी मिल जाए थोड़ी RELIEF

चलो दो पासे ऐसे बनाये
जो भाइयों को भाइयों से न लड़ाएं.
उन्हें मिलाएं.

कि सदियों से चल रहा
'अठारह दिन' का खून खराबा
अब खत्म हो.

पासे बने मरहम.
दिल पर
न कोई ज़ख्म हो.


कि पाडवों - कौरवों की चालों से
न आये कोई द्रौपदी
किसी मुश्किल में.

हया न हो बेहया
बेशर्मों की
महफ़िल में.

चलो दो पासे ऐसे बनाये.
जो सबको ख़ुशनसीब बनाएं.

एक बदनसीब कैदी* से
खुशनसीबी की उम्मीद क्यूँ लगायें?

कफस में क़ैद तोते
तब बस उड़ने के काम आयें.

चलो दो पासे ऐसे बनाये.
चलो दो पासे ऐसे बनाये.

* (भविष्य बताने वाला तोता)

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