आज तो बेशक तुझे ख़ुदा बनाएंगे सलीब पे कल तुझे ही टांग आएंगे जिस पत्थर को सब मार रहे हैं ठोकर तराश ले खुदको तो सब सर झुकाएंगे आज चाहते हैं तू फूंक दे दुश्मन का घर देखना कल तुझे ही फूंक के बुझाएंगे गौ माता ये जो तुम्हारे रक्षक है सही दाम मिले तो तुम्हें बेच आएंगे इंसान ही नहीं ख़ुदा का भी नसीब है मिट्टी बुत बारिश में घुल के बह जाएंगे हाक़िम का हुक़्म है 'ऐ भूखे किसानों! तुम्हारी पेट की आग पर रोटी पकाएंगे' सियासत की तमन्ना खड़ी करना दीवारें फ़क़ीर हमारी भी ज़िद है हम इसपे छत बनाएं