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Showing posts from February, 2016
सियाचिन में जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम: मॉ के नाम पर कबतक बच्चों को खाएंगी सरहदें ख़ून के कतरों से कबतक प्यास बुझाएंगी सरहदें
सवाल ऐसा कि जो लाजवाब कर दे जवाब भी कुछ यूं कि बेताब कर दे ज़िन्दगी ने मुझे खाली हाथ लौटाया है ऐ मौत! आ तू भी मेरा हिसाब कर दे ये कहानी तो आईने सी लगती है मेरे ही रु ब रु मुझे न ये किताब कर दे मेरी ज़िद है कि न पिएंगे, दर्द सहेंगे ख़ुदा! अब तू ही पानी को शराब कर दे हम ही सदा सजदे में झुकाते हैं सर ख़ुदा बंदा न हो जाए जो आदाब कर दे एक बार मरूं , कि मर - मर के मरूं मौत या ज़िन्दगी, तूही इन्तख़ाब कर दे ख़्वाब ज़रा सोच समझकर देख फ़क़ीर जाने कौन सा तेरी नींद खराब कर दे

टूटना

टूटूं तो टूटूं, सितारों की तरह टूटने में टूटने का हुनर हो या बिखर जाऊं टूटके आईने सा तू ही तू हर टुकड़े के अंदर हो टूटूं तेरी आँखों से जैसे शबनम एक बूंद में सारा समंदर हो तेरे हाथों से छूट जाऊं कभी यूँही तुझसे ही टूटना मेरा मुक़्क़दर हो मैं जो टूटूं, तू तड़पे मछलियों सी इक तड़पती आह तेरे लब पर हो ऐसे टूटूं जैसे शजर से कोई शाख ताउम्र तुझे अफ़सोस मुझे खोकर हो दिल का टूटना भी क्या कोई टूटना है फ़क़ीर?