Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2010
कोई मुझे पढ़े ऐसे भी कि शायरी हो जाऊं. किसी के हसीं ख्यालों की डायरी हो जाऊं. प्यासा रहूँ मैं कबतक किसी के इंतज़ार में, मैं भी किसी के लिए तिश्नगी हो जाऊं. मुद्दतों से मैं बस सांस हूँ, धड़कन हूँ, कोई देखे मुझे ऐसे कि मैं ज़िन्दगी हो जाऊं. कोई तक़रार मुझसे भी करे इश्क़ में, कभी उसके लिए मैं ग़लत, कभी सही हो जाऊं. ख़्वाबों में आना चाहता हूँ मैं भी किसी के, ख़्वाब जो टूटे तो उसकी बेबसी हो जाऊं. किसी के जज़्बात में शुमार होऊं मैं भी, कभी ग़म, कभी ख़ुशी, कभी दिल्लगी हो जाऊं. उससे पहचानूँ मैं भी ख़ुद को, और ख़ुद से मैं अजनबी हो जाऊं. जाने लगूँ तो रोके मुझे ख़ामोशी से, ख़ामोशी से मैं किसी आँख की नमी हो जाऊं. दोस्तों आप सभी की हौसला अफज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया.................