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Showing posts from June, 2017
निकल आये जो थे ज़ाहिल , ज़हीनों की ज़मात में सांप - बिच्छू जैसे निकलते हैं , पहली बरसात में सारे ग़वाहों ने मिलकर , चुना है मुंसिफ उसे ख़ुद ही था कभी गुनहगार , जो इस वारदात में .