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Showing posts from January, 2014

बयां -ए- जानां

वो जब बोलता है तो बोलता है कुछ ऐसे अंदाज़ में… जैसे शबनम के ढलकने का हो सलीका हर लफ्ज़ लम्स हो पहली कली का जैसे कपास की रूई उड़ी हो लफ्ज़-लफ्ज़ बुलबुले की लड़ी हो ------ 1 वो जब बोलता है तो बोलता है कुछ ऐसे अंदाज़ में… जैसे अगर अल्फ़ाज़ टपक जाएं तो उन पर मक्खियां भिनभिनाएं चाय में अगर शक्कर कम हो तो उसमें बस उसके लफ्ज़ ही मिलाएं डायबिटीज के मरीज़ ज़रा फासला से ही उससे राब्ता बढ़ाएं ------- 2 वो जब बोलता है तो बोलता है कुछ ऐसे अंदाज़ में… हर बार हौले से मानो कुछ यूं कहता है बात- बात पे जैसे I LOVE YOU कहता है ज़ख्मों की मरहम से रफू करता है चला भी जाए तो देर तक मुझसे गुफ्तगू करता है वो जब बोलता है तो बोलता है कुछ ऐसे अंदाज़ में… 3 Meaning: शबनम – Dew  ढलकने – Drip  सलीका – Style  लम्स – Touch अल्फ़ाज़ – Words राब्ता – contact रफू – Patch 
चलो न ख़ाक़ छानें  छुपी चिंगारियां चुनें  सबको मिलाकर एक चराग़ बनाएंगे रात की छाती पर रख आयेंगे चराग़, जो सूरज का परचम लहराये चराग़, जो हवाओं में भी हरदम लहराये चराग़, जिसमें तूफ़ानो की दहशत न हो चराग़, जले, मगर जलाने की हसरत न हो चराग़, जो हरदम रास्ता दिखलाये चराग़, जो रौशनी की ख़ुशबू फैलाये चराग़, जो खोये हुए का सहारा बन जाए चराग़, सभी सिंदबादों का ध्रुव-तारा बन जाए चलो न दिल की बात मानें चलो न ख़ाक़ छानें...