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Showing posts from September, 2016

तेज़ाब (ACID)

ये मेरे चेहरे पर जो जलने का निशान हैं दरअसल आईना है  तुम्हारी बुज़दिली की पहचान हैं तुम सोचते थे कि मैं जली पहचान लेकर कहीं छुप जाऊँगी ये चेहरा मेरी जीत है मैं सारी दुनिया को दिखलाऊँगी देखो मेरे इस चेहरे को क्यूं? नहीं कर पा रहे हो सहन कभी रोती हुई माँ दिखती है इसमें कभी थूकती हुई बहन? तो, तुम मुझे देखो... तुम मुझे देखो कि... तुम्हारी कमजोरी का इश्तहार हूं तुम मुझे देखो कि... मैं अभी तक तुम्हारी हार हूं तुम मुझे देखो कि... जब तुमने मुझसे इज़हार किया था तुम मुझे देखो कि... क्यूं मैंने तुम्हें इनकार किया था तुम मुझे देखो कि... तुम्हारी माँ तुम्हें पैदा करके पछता रही है तुम मुझे देखो कि... तुम्हें अपनी सबसे बड़ी भूल बता रही है तुम मुझे देखो कि... मैं तुम्हारी लम्बी उम्र की दुहाई दूं तुम मुझे देखो कि... तुम्हें तुम्हारी बेटी में मैं ही मैं दिखाई दूं तुम मुझे देखो कि... तुम्हारी बहन डर रही है तुम्हारी बुरी नज़र से तुम मुझे देखो कि... तुम गलने लगे हो अपने ही ज़हर से तुम मुझे देखो कि... मर्द वो है जो इनकार भी सर-आंखों पे लेगा तुम मुझे देखो कि... जिससे मुहब्बत की, उसस
उसने बेरुखी से कहा जब ‘तुम्हें जीना है अकेले’ एक वही तो भीड़ था, अब छूटे जहाँ के मेले उसके बिना है जीना दुश्मन की बद्-दुआ है उसके बिना है जीना मुझे मौत की सज़ा है उसके बिना है जीना कि किस्तों में जान जाए उसके बिना है जीना मछली डूब मरी हाय उसके बिना है जीना है आतिश का इक समंदर उसके बिना है जीना बंधे-हाथ तैरना अन्दर उसके बिना है जीना पाँव में ज्यूं आबले हैं उसके बिना है जीना और मीलों के फासले हैं उसके बिना है जीना कि बदन कफ़न है ये उसके बिना है जीना ख़ुद में ही दफ़न है ये उसने बेरुखी से कहा जब ‘इक खेल था जो हम खेले’ एक वही तो भीड़ था, अब छूटे जहाँ के मेले