जिस बूढ़े को घर के बाहर सुलाया जा रहा है
उसके पेंशन से ही घर का किराया जा रहा है
हर आतंकवादी मुसलमान ही क्यों होता है
डरे हुये को डरे हुये से डराया जा रहा है
तुझे फिर बेघर करने की चल रही है साज़िश
राम तेरे मस्जिद को मंदिर बताया जा रहा
है
किसी की गोली नहीं, उसे तो भूखमरी मारेगी
क्यों एक भूखे को सिपाही बनाया जा रहा है
इस क़दर तन्हा हूँ, कि तन्हाई भी साथ नहीं
धूप के साथ ही मुझसे दूर साया जा रहा है
मेरे दुश्मनों ने उसे खड़ा कर दिया मेरे ख़िलाफ़
कि मेरे ख़िलाफ़ मुझे ही आज़माया जा रहा है
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