ये जो
बे-ईमानी की बीमारी है
खुद से की गयी ईमानदारी है
खुद से की गयी ईमानदारी है
वफ़ादार
रहूँ मैं तेरे साथ
मेरे साथ तेरी भी ज़िम्मेदारी है
मेरे साथ तेरी भी ज़िम्मेदारी है
तुमने पहनी है जो वफ़ा की
कमीज़
खैराती है ये, मैंने ही उतारी है
जो तुम नहीं समझते हो मेरी
बात
ये नासमझी ग़ज़ब होशियारी है
चिंगारी भड़काए, चराग़ बुझा दे
हवाओं में भी अब तरफदारी है
महंगे लिबाज़ में नंगे हो ‘साहब’
कहते थे ग़रीबी नहीं, ख़ुद्दारी है
Comments
Post a Comment