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तुम्हारी मुस्कान

ये जो तुम्हारे लबों पे मुस्कान हैं
यही तुम्हारी पहचान हैं...

बेलिहाज़
बेलिबास
बगैर किसी मुलम्मे के
होंठों के सुरमे से .....

ये जो तुम्हारे लबों पे मुस्कान हैं
दवा की कोई दुकान है

ज़ख्म कैसे भी हों
भर जाते हैं
हज़ारों चेहरे
तुम्हारे साथ मुस्कुराते हैं

शर्म की तहें उतार दो
ग़मगीन दुनिया को अपनी मुस्कान...
बतौर उधार दो...

ये जो तुम्हारे लबों पे मुस्कान हैं
पाक कोई वरदान है

बदनसीब भी खुशनसीब हो जाता है....
तुम्हारा रुख
जो होकर उसके रुख
मुस्कुराता है....
उसे अपने होने का मतलब समझ आता है....

ये जो तुम्हारे लबों पे मुस्कान हैं
खुद से ही अनजान है.....

कि किस कदर मेहरबां है ये
किसी के लिए सारा जहाँ है ये

किसी की आख़िरी तमन्ना है.
तुम्हारे लबों का
और मेरी नज़रों का गहना है....

बिखेरते रहो बहारों को
टूटने दो सितारों को
कि कई मुरादें हैं अधूरी

बस मुस्कुरा दो
बिन कहे कर दो
हर बात पूरी...

Comments

  1. बदनसीब भी खुशनसीब हो जाता है....
    तुम्हारा रुख
    जो होकर उसके रुख
    मुस्कुराता है....
    उसे अपने होने का मतलब समझ आता है....

    ये जो तुम्हारे लबों पे मुस्कान हैं
    खुद से ही अनजान है.....
    Kya kamaal ka likha hai!

    ReplyDelete

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