शहर बड़ा आलीशान है ये,
पश्चिम की खुली दुकान है ये.
मॉल है मण्डी के कब्र पर,
दरअसल कोई श्मशान है ये.
...
कौन कर रहा है भूखों की बातें,
नंगा साला बेईमान है ये.
चूल्हे नहीं चिता जलाओ,
दिल्ली का यही फ़रमान है ये.
रोज़ का कमा रहा है ३४ रुपये,
लुच्चा भिखारी नहीं, धनवान है ये.
भूखी बस्ती में नयी किलकारी,
चार दिनों की मेहमान है .
तरक्की की राह में आया पीपल,
कटता हुआ भगवान् है ये.
भूखा मर रहा है अन्नदाता,
नयी तरक्की की पहचान है ये.
कफ़न खोल कर हाकिम बोला,
लगता है, हिंदुस्तान है ये.
समझो न इसको अमन 'फ़कीर'
चिंगारी कोई तूफ़ान है ये.
पश्चिम की खुली दुकान है ये.
मॉल है मण्डी के कब्र पर,
दरअसल कोई श्मशान है ये.
...
कौन कर रहा है भूखों की बातें,
नंगा साला बेईमान है ये.
चूल्हे नहीं चिता जलाओ,
दिल्ली का यही फ़रमान है ये.
रोज़ का कमा रहा है ३४ रुपये,
लुच्चा भिखारी नहीं, धनवान है ये.
भूखी बस्ती में नयी किलकारी,
चार दिनों की मेहमान है .
तरक्की की राह में आया पीपल,
कटता हुआ भगवान् है ये.
भूखा मर रहा है अन्नदाता,
नयी तरक्की की पहचान है ये.
कफ़न खोल कर हाकिम बोला,
लगता है, हिंदुस्तान है ये.
समझो न इसको अमन 'फ़कीर'
चिंगारी कोई तूफ़ान है ये.
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