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मेरी सूरत से वो इस क़दर डरता है.
कि न आइना देखता है, न संवरता है.

गवाह हैं उसके पलकों पे मेरे आंसू,
वो अब भी याद मुझे करता है.

दूर जाकर भी भाग नहीं सकता मुझसे,
अक्सर अपने दिल में मुझे ढूँढा करता है.

ख़ामोश कब रहा है वो मुझसे,
तन्हाई में मुझसे ही बातें करता है.

मेरी मौजूदगी का एहसास उसे पल पल है,
बाहों में ख़ुद को यूँही नहीं भरता है.

मेरे लम्स में लिपटे अपने हाथों में,
चाँद सी सूरत को थामा करता है.

जी लेगा वो मेरे बिन फ़कीर,
सोचकर, कितनी बार वो मरता है.

Comments

  1. बेहतरीन पंक्तियाँ । स्वागत है

    गुलमोहर का फूल

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  2. जी लेगा वो मेरे बिन फ़कीर,
    सोचकर, कितनी बार वो मरता है.
    Bahut khoob!

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  3. दूर जाकर भी भाग नहीं सकता मुझसे,
    अक्सर अपने दिल में मुझे ढूँढा करता है.

    ख़ामोश कब रहा है वो मुझसे,
    तन्हाई में मुझसे ही बातें करता है.
    Behad sundar panktiyan!

    ReplyDelete
  4. bahut gahrai hai aapki kavita me
    padh kar accha laga.

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  5. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  7. यह सोचकर वो कितनी बार मरता है----वाह, क्या खूब।

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