लो शज़र को मैं जगाने लगा हूँ
हवा को अब तूफ़ाँ बनाने लगा हूँ
बूँद गुंजाइश रखे है नदी की
ओस हूँ बादल बनाने लगा हूँ
फिर हिला मुर्दा बदन जो सुना ये
देख माँ मैं अब कमाने लगा हूँ
दाग़ पानी से गया ही नहीं जब
ख़ूँ से अब मैं ख़ूँ मिटाने लगा हूँ
ज़ख्म मेरा देख न ले ज़माना
आँख मैं भी अब दिखाने लगा हूँ
हाय मैंने ही था दाना खिलाया
जाल भी मैं ही बिछाने लगा हूँ
हवा को अब तूफ़ाँ बनाने लगा हूँ
बूँद गुंजाइश रखे है नदी की
ओस हूँ बादल बनाने लगा हूँ
फिर हिला मुर्दा बदन जो सुना ये
देख माँ मैं अब कमाने लगा हूँ
दाग़ पानी से गया ही नहीं जब
ख़ूँ से अब मैं ख़ूँ मिटाने लगा हूँ
ज़ख्म मेरा देख न ले ज़माना
आँख मैं भी अब दिखाने लगा हूँ
हाय मैंने ही था दाना खिलाया
जाल भी मैं ही बिछाने लगा हूँ
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