क़सम खाकर निभाओगे चलो जाओ
मुझे अब क्या रुलाओगे चलो जाओ
लहू से लिख रहे हो ख़त अभी तो तुम
यही ख़त फिर जलाओगे चलो जाओ
कभी सारा जहाँ मैं ही था तुम्हारा
जहाँ से अब डराओगे चलो जाओ
ढली अब शब दिये को कौन पूछेगा
बुझाकर फिर जलाओगे चलो जाओ
मुहब्बत को तिजारत तुम समझ बैठे
क़फ़न में जेब पाओगे? चले जाओ
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