ऐ धूल.. ऐ धूल धमक पे आ जा तू अम्बर को भर ले मुट्ठी में सूरज की अकड़ को खा जा तू थूके तो बनके छींटें बनके छींटें गिरे जुगनू जुगनू ऐ धूल ऐ धूल धमक पे आ जा तू जिनके क़दमों ने तुझे रौंदा है धूल बन उनकी तू आँखों का गर्द समझते हैं जो तुझको बन बवंडर उनकी राहों का फूंक तू ऐसी चिंगारी फूंक दे महल जले धूं धूं ऐ धूल ऐ धूल धमक पे आ जा तू दो से चार, चार से हज़ार हो एक-एक वार पैना, वार में धार हो पत्थर के हिटलर को तराशे जा मुजस्सम-ए-अवाम नक़्क़ाशे जा बदल दे मौसम बढ़ा हरारत-ए-लहू ऐ धूल ऐ धूल धमक पे आ जा तू ऐ धूल ऐ धूल धमक पे आ जा तू