मिरा होगा फ़क़त तू सुन, हमारा तो नहीं होगा
तुझे गर तू भी चाहे तो गंवारा तो नहीं होगा
जिसे तुम दोस्त कहते हो, उसे तुम आज़माओ तो
जहाँ डूबे वहाँ होगा, पुकारा तो नहीं होगा
मुहब्बत का दुबारा, तजरबा, कुछ यूं हुआ यारों
ग़लत थे हम हमें धोखा दुबारा तो नहीं होगा
मिटाया है अभी उसने फ़क़त सिन्दूर माथे का
अभी कंगन वो सोने का उतारा तो नहीं होगा
अजी उसको तो मेरी बंद आँखें देख लेती हैं
नज़र वालों, नज़र होगी, नज़ारा तो नहीं होगा
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