अकेले आ! न लश्कर साथ लाने का
तरीका बस यही है मुझे हराने का
मुख़ालिफ़ है लहर कोई, मुक़ाबिल बन
किसी के अश्क़ हों तो डूब जाने का
बनी है इम्तिहाँ अब ज़िंदगी उसकी
जिसे था शौक़ सबको आज़माने का
ज़हीनों से बहस कर शौक़ से लेकिन
गधों से सुन, तुरत
ही हार जाने का
अकेले आ! न लश्कर साथ लाने का
तरीका बस यही है मुझे हराने का
मुख़ालिफ़ है लहर कोई, मुक़ाबिल बन
किसी के अश्क़ हों तो डूब जाने का
बनी है इम्तिहाँ अब ज़िंदगी उसकी
जिसे था शौक़ सबको आज़माने का
ज़हीनों से बहस कर शौक़ से लेकिन
गधों से सुन, तुरत
ही हार जाने का
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