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मिरा दिल तोड़ कर परिशान कितना है
नए दिल में वफ़ा ईमान कितना है

मुझे छोड़ा मुनाफा इश्क़ का पाया
नफे में देख अब नुकसान कितना है

वही जो बात पसंद थी, उसी से खफा
वही हूं मैं तू तुझमें जान कितना है

हवा में हो, कि उड़ते हो, दिखा दूंगा
कटे पर में जुनूँ और जान  कितना है

बना है आदमी पर आदमी बनकर
तू दिल से पूछ अब इंसान कितना है

गिरे जो आदमी जितना, उसी का अब
मका उट्ठा वो आलीशान कितना है

भरे हैं लोग हर कमरे में दिल के पर
मका सूना सहन वीरान कितना है

कहो सच फिर नहीं कुछ याद रखने का
कि रट रट झूठ तू परिशान कितना है

कहा कबतक बकोगे यूं; कहा मैने
अजी बोतल में मेरी जान कितना है

वही जो तोड़ता रहता है दिल मेरा
लगा लूं दिल से उसे-अरमान कितना है

है वो रोशन कि मेरी रोशनी है वो
छुड़ाकर हाथ देखे सम्मान कितना है

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