इस ज़मीं को ख़ुद में बसाने लगा है
एक बच्चा अब मिटटी खाने लगा है
भीड़ आयी कर तो गयी रेत घर को
रेत से फिर वो घर बनाने लगा है
ज़ात मज़हब में जग बँटे है, उसे क्या
आटे में वो बेसन मिलाने लगा है
पाक - भारत लो हमसफ़र बन गए, अब
नाव नक़्शे के वो चलाने लगा है
जग म से मज़हब ही पढ़ाता है सबको
वो म से मौहब्बत पढ़ाने लगा है
क़र्ज़ वालिद का अब उतारेगा सारा
पेड़ पैसों के वो लगाने लगा है
ना नज़र लगा दे इल्म, मासूमियत को
फ़िक्र अब ये हमको सताने लगा है
रेत से फिर वो घर बनाने लगा है
ज़ात मज़हब में जग बँटे है, उसे क्या
आटे में वो बेसन मिलाने लगा है
पाक - भारत लो हमसफ़र बन गए, अब
नाव नक़्शे के वो चलाने लगा है
जग म से मज़हब ही पढ़ाता है सबको
वो म से मौहब्बत पढ़ाने लगा है
क़र्ज़ वालिद का अब उतारेगा सारा
पेड़ पैसों के वो लगाने लगा है
ना नज़र लगा दे इल्म, मासूमियत को
फ़िक्र अब ये हमको सताने लगा है
Comments
Post a Comment