बड़ा जादू है तेरे इस शहर में चाँद दिखा मुझे भरी दोपहर में आ दिखा दूं कैसा होता है ख़ुदा झाँक तो मेरी आईने सी नज़र में तुम्हें याद करेंगे तुमसे फ़ुरसत पाकर ख्वाब रात में तेरा ख्य़ाल सहर में रात भर तड़पा, करवटें बदली तेरी याद का कंकड़ मेरे बिस्तर में धूप भी जिसके सामने लगे हैं सांवली हुनर का हुस्न है, हुस्न के हुनर में एक दूसरे के लिए बन गए हैं दीवार कई घर मिले मुझे एक ही घर में साथ चलने से ही कोई साथ नहीं होता हमसफ़र नहीं है, साथ हैं हम सफ़र में *सहर – Morning