माना फूलों की ज़ुबाँ, तो वो क़तर जाएँगे
शोर ख़ुशबू जो मचाये, तो किधर जाएँगे
कश्मकश में है परिंदा, करे क्या आईंदा
गर सुने पेट की, उसके फिर पर जायेंगे
है बुलंदी भी नशा, याद सबक़ रखिये ज़रा
जो चढ़ें सर पे, तो नज़रों से उतर जाएँगे
अपने बेनूर को बेनूर ही रखना अब तो
नाम सुन होश नहीं, देख के मर जाएँगे
ऐ अमीरों! तुम घूमो लन्दन और पेरिस
हम-से मुफलिस घर से निकले तो घर जायेंगे
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