इस ज़मीन को खुद में बसाने लगा है . वो छोटा बच्चा मिटटी खाने लगा है . कुछ लोग घर को रेत कर गए थे , वो पागल रेत से घर बनाने लगा है . बुश - लादेन , इज़रायल - फलस्तीन हमसफ़र हैं , वो अख़बारी काग़ज़ के जहाज़ उड़ाने लगा है . इक तरफ इंसान बंट रहे हैं ज़ात ओ मज़हब में , इक तरफ वो आटे में बेसन मिलाने लगा है . गिरो , उठो , धूल झाड़ो , फिर बढ़ो , वो हमें चलने का सलीका सिखाने लगा है . कहीं बचपन को लग जाए न तजर्बे की नज़र , यह फ़िक़्र ऐ फ़क़ीर मुझे सताने लगा है .