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वही इक जो किसी की अब अमानत है
मुहब्बत की वही मेरी ज़मानत है

कभी थप्पड़ कभी छप्पर कभी साया
पिता का हाथ सरपर हिफाज़त है

भला हो आप बोले, आप बोले तो
शिकायत भी अजी मुझपर इनायत है

हमें अब आप रुख़सत दें, कहा हमने
गले में बाँह डाला, कहा इजाज़त है

उसे चाहो उसे लेकिन बताओ मत
मुहब्बत में शराफत हो तो लानत है

सभी को नाम से उसके बुलाता हूँ
बुरा है ये, बुरी वो एक आदत है

जिसे तुम कह रहे हो इक कहानी बस
कहानी वो हमारी तो हक़ीक़त है

मिले कैसे अगर मिलना भी चाहें हम
चमन गंजा हुनर उसका हजामत है

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मदारी

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