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ख़ू नहीं इक बूंद इतना साफ मारे
नाज मारे है कभी वो नाफ़ मारे

देखकर उसको नशा सा कुछ हुआ यूं
देखने वाले, लगे हैं हाफ मारे

मुकदमा उसकी नज़र पर, क्यों लगे जब
नज़र कब, ये तीर हमने, आप मारे

ठंड में थे सब गरम, था हुस्न ऐसा
ठंड में वो हुस्न, जिसका ताप मारे

चांद टूटा टूट के हर सिम्ट बह रहा
पैर नाज़ुक पानी पर वो थाप मारे

फैसले के बाद होता मुकदमा है
कत्ल से ज्यादा यहां इंसाफ मारे

चुस्त तन पर चुस्त कपड़ा कत्ल करे है
यार दर्जी हाय तेरी नाप मारे

दोष दूं तो भी किसे दूं, दोष है मिरा
आँख से थे जो बड़े वो ख़ाब मारे

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मदारी

अरे! हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो! तेरा पिटारा, है जग सारा, दुनियादारी हो तेरे इशारे का सम्मान करें ख़ुद हनुमान तुम मांगो भीख तेरे कब्ज़े में भगवान ईश का करतब इंसान और ईश इंसानी कलाकारी हो   हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो! आस्तीन सा एक पिटारा सांप हम जै सा तुम्हारा सर पटके बार बार विष उगलने को तैयार न ज़हर उगल आज मत बन रे समाज काटने- कटने की ये बीमारी हो हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो! तेरे जमूरे- आधे अधूरे भूखे - नंगे , हर हर गंगे हाथसफाई के उस्ताद पर लगे कुछ न हाथ जीने के लिए जान लगाएं ज़ख्म से ज़्यादा कुछ न पाएं हवा खाएं साएं – साएं बचपन के सर चढ़ गयी ज़िम्मेदारी हो हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो!