चलो दो पासे ऐसे बनाये जिनके छहों पीठों पर एक ही एक हो. कि कम से कम खेल में तो कोई मज़हब न हो. ऊंच नीच की सरहद न हो. जिसका मकसद नेक हो. जिनके छहों पीठों पर एक ही एक हो. फिर हम ख़ुदा को शायद और न दे कोई तकलीफ... GOD, राम, अल्लाह के चोलों से, उसको भी मिल जाए थोड़ी RELIEF चलो दो पासे ऐसे बनाये जो भाइयों को भाइयों से न लड़ाएं. उन्हें मिलाएं. कि सदियों से चल रहा 'अठारह दिन' का खून खराबा अब खत्म हो. पासे बने मरहम. दिल पर न कोई ज़ख्म हो. कि पाडवों - कौरवों की चालों से न आये कोई द्रौपदी किसी मुश्किल में. हया न हो बेहया बेशर्मों की महफ़िल में. चलो दो पासे ऐसे बनाये. जो सबको ख़ुशनसीब बनाएं. एक बदनसीब कैदी* से खुशनसीबी की उम्मीद क्यूँ लगायें? कफस में क़ैद तोते तब बस उड़ने के काम आयें. चलो दो पासे ऐसे बनाये. चलो दो पासे ऐसे बनाये. * (भविष्य बताने वाला तोता)