कि पहली बार जिसने भी ठगा होगा
लगा लो शर्त कोई वो सगा होगा
हिमायत सच की जिसने की कभी होगी
अजी इलज़ाम उसपर ही लगा होगा
कड़ी है धूप वो तोड़े मगर पत्थर
न जाने कैसी मिटटी का बना होगा
तिरे ही नाम का खत लिख रहा हूँ मैं
उसी खत पर मिरे घर का पता होगा
अमॉ ये लोग हैं मजबूर आदत से
वहीं मूतें जहाँ मूतना मना होगा
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