दर्द की इंतिहा दर्द कम रह गया
इश्क़ की इंतिहा इक सितम रह गया
आज भी उसकी ही खाते हैँ सर की हम
जो कभी था सनम बस क़सम रह गया
वो यक़ी था मिरा यार का मैं यक़ी
रह गया वो भरम, मैं वहम रहा गया
रात को हाथ को छोड़कर वो चला
हाथ में ल्म्स भर पर सनम रह गया
आदमी आदमी से कटा से मरा
बस ख़ुदा या ख़ुदा का भरम रह गया
तोड़कर दम सनम हाथ में तेरे हम
हाथ में साथ मैं दम ब दम रह गया
चार दिन ज़िन्दगी कुछ रहेगा नहीं
खेल था खेल का मोह कम रह गया
इश्क़ की इंतिहा इक सितम रह गया
आज भी उसकी ही खाते हैँ सर की हम
जो कभी था सनम बस क़सम रह गया
वो यक़ी था मिरा यार का मैं यक़ी
रह गया वो भरम, मैं वहम रहा गया
रात को हाथ को छोड़कर वो चला
हाथ में ल्म्स भर पर सनम रह गया
आदमी आदमी से कटा से मरा
बस ख़ुदा या ख़ुदा का भरम रह गया
तोड़कर दम सनम हाथ में तेरे हम
हाथ में साथ मैं दम ब दम रह गया
चार दिन ज़िन्दगी कुछ रहेगा नहीं
खेल था खेल का मोह कम रह गया
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