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वक़्त यहीं पे थम जायेगा


अपनी उँगलियों के नाज़ुक दस्ताने
मेरे हाथों में रहने दो

बेलफ्ज़ कर दो लब अपने
आँखों को अब कहने दो

मैं हूँ 'तुम', तुम हो 'मैं'
चूम लूं मैं अब - लब अपने दो

बहता लम्हा जम जायेगा
वक़्त यहीं पे थम जायेगा ------- 1.

इश्क़  में लज्ज़त आएगी
लम्स को लम्स चखने दो

साँसों की धीमी आंच पर
मद्धम - मद्धम पकने दो

दुनिया से छुपाके इश्क़ मिठाई
दिल की आड़ में रखने दो

बहता लम्हा जम जायेगा
वक़्त यहीं पे थम जायेगा ------- 2.

ओढ़ लूं तुमको सरापा मैं
आगोश का कम्बल ढकने दो

अपने सांचे में थाम मुझे
तुम-सा मुझको दिखने दो

खुद को रख दूं गिरवी मैं
जो अपने पास रखने दो

बहता लम्हा जम जायेगा
वक़्त यहीं पे थम जायेगा ------- 3.

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मेरी सूरत से वो इस क़दर डरता है. कि न आइना देखता है, न संवरता है. गवाह हैं उसके पलकों पे मेरे आंसू, वो अब भी याद मुझे करता है. दूर जाकर भी भाग नहीं सकता मुझसे, अक्सर अपने दिल में मुझे ढूँढा करता है. ख़ामोश कब रहा है वो मुझसे, तन्हाई में मुझसे ही बातें करता है. मेरी मौजूदगी का एहसास उसे पल पल है, बाहों में ख़ुद को यूँही नहीं भरता है. मेरे लम्स में लिपटे अपने हाथों में, चाँद सी सूरत को थामा करता है. जी लेगा वो मेरे बिन फ़कीर, सोचकर, कितनी बार वो मरता है.
सुनो! मैं बादलों के बादलों से लब लड़ाऊंगा यही ज़िद है कि अब आब से मैं आग पाऊंगा मुझे तुम छोड़ के जो जा रहे हो तो चलो जाओ करूंगा याद ना तुमको, मगर मैं याद आऊंगा थमाया हाथ उसके एकदिन शफ्फाक आईना मिरा वादा था उससे चांद हाथों पर-सजाऊंगा ज़रा देखूं कि अब भी याद आता हूं उसे मैं क्या कि अपनी मौत की अफवाह यारों मैं उड़ाऊंगा लड़ाऊं आंख से मैं आंख, वादा था मिरा उसको अजी पानी नहीं जानां, मैं मय में मय मिलाऊंगा बदन शीशे का तेरा और संगदिल भी तुही जानां तुझे तुझसे बचाऊं तो भला कैसे बचाऊंगा