रौशनी का पता:
ये अँधेरा भला क्या है?
बस रौशनी का पता है.
तहें इसकी खंगालिए तो
एक टुकड़ा रौशनी का
इसी में गुमशुदा है.
परछाइयों से घबराना क्यूँ?
यही तो हमसफ़र है,
हम - रास्ता है.
किसी ने काली रात पर
चिपका दिया है....
चाँद का पोस्टर
बदलाव की हवा से
तिरगी (अँधेरे) का तख़्त
हिलने लगा है.
एक जुगनू ने कर दिया है
शब् (रात) में सुराख़....
टिमटिमा कर
नए दिन का परचम
लहरा रहा है.
---FAQEER
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