कर रहे हैं हरपल ख़ुदकुशी देखिये
कहते हैं किसको ज़िन्दगी देखिये
आँखों पर छाने लगेगा अँधेरा
पल भर जो रौशनी देखिये
डंक मरती हैं चीटियाँ जुबां से
अलफ़ाज़ है कितनी चाशनी देखिये
रोज़ा से कब होती हैं मुरादें पूरी
मुफ़लिस की फाकाकशी देखिये
अपनी गिरेबां झाँकने से अच्छा
फ़क़ीर ख़ुदा में कोई कमी देखिये
इसी मिज़ाज लेकिन अलग खानदान के चंद शेर:
कहने को जुदा हैं मुझ से
दिखती हैं चाहे कहीं देखिये
अपनी तकदीर जानने के लिए
अपनी नहीं उनकी ज़बीं देखिये
दूर से हर चीज़ लगती है हसीं
कभी चाँद से आप ज़मीं देखिये
कहते हैं किसको ज़िन्दगी देखिये
आँखों पर छाने लगेगा अँधेरा
पल भर जो रौशनी देखिये
डंक मरती हैं चीटियाँ जुबां से
अलफ़ाज़ है कितनी चाशनी देखिये
रोज़ा से कब होती हैं मुरादें पूरी
मुफ़लिस की फाकाकशी देखिये
अपनी गिरेबां झाँकने से अच्छा
फ़क़ीर ख़ुदा में कोई कमी देखिये
इसी मिज़ाज लेकिन अलग खानदान के चंद शेर:
कहने को जुदा हैं मुझ से
दिखती हैं चाहे कहीं देखिये
अपनी तकदीर जानने के लिए
अपनी नहीं उनकी ज़बीं देखिये
दूर से हर चीज़ लगती है हसीं
कभी चाँद से आप ज़मीं देखिये
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