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मुसीबतों से किया वादा हमने निभाया है 
हवाओं आओ, तुम्हारे *रुख़ चराग़ जलाया है 

हार गए हम उसपर अपना दिल हार कर 
वो भी कहाँ जीता, जिसने हमें हराया है 

खंज़रों-से पत्थरों के *मुक़ाबिल पानी को कर दिया
दरिया ने अपना हौसला, ऐसे आज़माया है

इस खेल में हारते ही हैं सब, जानता हूँ मैं
जानबूझकर, दांव पर, सबकुछ लगाया है

हवा भी है तरफ़दारी की *तलब की मारी
इक चिंगारी जलायी तो एक चराग़ बुझाया है

एक लकड़ी के घर की हवस में तूने इंसां
न जाने कितने परिंदों का घर गिराया है

उस मखमल से बदन का हौसला तो देखिये
बबूल की *नेजों पे जिसने घोसला सजाया है

देख पत्थरों के दिल पर पानी की *नक्काशियां
'फ़क़ीर' ने साहिल पर रेत का घर बनाया है

*
रुख़ - Towards
*मुक़ाबिल - In confrontation
*तलब - Wish
*नेजों - Spear
*नक्काशियां - Carving

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