कोई कसर नहीं
छोड़ेगी, अपना निवाला
बनाने में
जाने क्या मज़ा आएगा, मिट्टी को मिट्टी खाने में
बारहा लहरें तोडती हैं, बारहा वो बनाता है घरोंदा
मुझे भी बच्चों सा हौसला दे, घोंसला सजाने में
तितलियों पर है असर उसके काले जादू का
डूब कर मर जाना चाहतीं हैं, लबों के पैमाने में
एक ख्वाब को देखा रहा हूँ मैं करवटें लेते हुए
ख्वाब मेरा टूट ही न जाए, कहीं उसे जगाने में
जाने क्या मज़ा आएगा, मिट्टी को मिट्टी खाने में
बारहा लहरें तोडती हैं, बारहा वो बनाता है घरोंदा
मुझे भी बच्चों सा हौसला दे, घोंसला सजाने में
तितलियों पर है असर उसके काले जादू का
डूब कर मर जाना चाहतीं हैं, लबों के पैमाने में
एक ख्वाब को देखा रहा हूँ मैं करवटें लेते हुए
ख्वाब मेरा टूट ही न जाए, कहीं उसे जगाने में
उसे लगता
है मुश्किल है,
तो मुमकिन भी
होगा
पागल कब
से लगा है, पानी पर
तस्वीर बनाने में
नज़रों से
किया वादा, जुबां
से मुकर गए फ़क़ीर
यही तो
फ़रक है नज़रिये
में, और नज़र आने में
Comments
Post a Comment