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बिक रही है जो सरेबाजार किसी सामान की तरह
तमन्ना थी कोई समझे उसे भी कभी इंसान की तरह

मेरे ही माँ – बाप अब मेरे रिश्तेदार हो गए
जाता हूँ अब अपने ही घर किसी मेहमान की तरह

उसे याद करने से पहले करता हूँ *वुज़ू मैं
और नाम लेता हूँ ऐसे, जैसे पाक *अज़ान की तरह

इंसान है जब तक, उसका है इंसानों से *राब्ता
बन जाएगा पत्थर, बनाया जो भगवान की तरह

हालांकि कोई क़ीमत नहीं, पर वो बेशक़ीमती है
ख़रीद नहीं पाया कोई उसे, उसके ईमान की तरह

बारिश की दुआ मेरी, बन जाए न बददुआ कोई
कुम्हार की तरह सोचूं कि सोचूं किसान की तरह

इस तरह रहता हूँ इस शहर में ऐ फ़क़ीर!
मुसलमां में हिन्दू, हिन्दुओं में मुसलमान की तरह

*वुज़ू - Pious ritual *अज़ान - Prayer *राब्ता - Relation

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मेरी सूरत से वो इस क़दर डरता है. कि न आइना देखता है, न संवरता है. गवाह हैं उसके पलकों पे मेरे आंसू, वो अब भी याद मुझे करता है. दूर जाकर भी भाग नहीं सकता मुझसे, अक्सर अपने दिल में मुझे ढूँढा करता है. ख़ामोश कब रहा है वो मुझसे, तन्हाई में मुझसे ही बातें करता है. मेरी मौजूदगी का एहसास उसे पल पल है, बाहों में ख़ुद को यूँही नहीं भरता है. मेरे लम्स में लिपटे अपने हाथों में, चाँद सी सूरत को थामा करता है. जी लेगा वो मेरे बिन फ़कीर, सोचकर, कितनी बार वो मरता है.
सुनो! मैं बादलों के बादलों से लब लड़ाऊंगा यही ज़िद है कि अब आब से मैं आग पाऊंगा मुझे तुम छोड़ के जो जा रहे हो तो चलो जाओ करूंगा याद ना तुमको, मगर मैं याद आऊंगा थमाया हाथ उसके एकदिन शफ्फाक आईना मिरा वादा था उससे चांद हाथों पर-सजाऊंगा ज़रा देखूं कि अब भी याद आता हूं उसे मैं क्या कि अपनी मौत की अफवाह यारों मैं उड़ाऊंगा लड़ाऊं आंख से मैं आंख, वादा था मिरा उसको अजी पानी नहीं जानां, मैं मय में मय मिलाऊंगा बदन शीशे का तेरा और संगदिल भी तुही जानां तुझे तुझसे बचाऊं तो भला कैसे बचाऊंगा