अरे! हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो!
तेरा
पिटारा, है जग सारा, दुनियादारी हो
तेरे
इशारे का सम्मान
करें
ख़ुद हनुमान
तुम मांगो
भीख
तेरे कब्ज़े
में भगवान
ईश का
करतब इंसान
और ईश
इंसानी कलाकारी हो
हे मदारी! रे मदारी!
रे मदारी! हो!
आस्तीन सा एक पिटारा
सांप हम जैसा तुम्हारा
सर पटके बार बार
विष उगलने
को तैयार
न ज़हर उगल आज
मत बन रे समाज
काटने- कटने की ये बीमारी हो
हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो!
तेरे जमूरे-आधे अधूरे
भूखे - नंगे, हर हर गंगे
हाथसफाई के उस्ताद
पर लगे कुछ न हाथ
जीने के लिए
जान लगाएं
ज़ख्म से ज़्यादा
कुछ न पाएं
हवा खाएं
साएं – साएं
बचपन के सर चढ़ गयी ज़िम्मेदारी हो
हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो!
Comments
Post a Comment