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कहीं नहीं था तू फिर भी था हरसू ताशब
तुझमें ग़ुम था मैं मुझमें ग़ुम था तू ताशब

कल रात कंटीले बाड़ों में फँस गया था चाँद
ज़ख्म से बूँद बूँद टपकता रहा जुगनू ता-शब

नूर टूट के बहा हर सिम्त इत्र के लहजे में
जुगनू दर-ब-दर फैलाता रहा खुशबू ता-शब

दाग़ उसके चेहरे पर बहुत फबते हैं
बेख़बर चाँद सोया रहा मेरे रू-ब- रु ताशब

सबा उड़ा ले गयी उसका नक़ाब सोते हुए
दिन ही दिन बिखरा रहा कू-ब-कू ताशब

अब उसे दिल में छुपाना मुमकिन नहीं फ़क़ीर
आईना देखा गोया उसे देखा हू-ब- हू ताशब

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मेरी सूरत से वो इस क़दर डरता है. कि न आइना देखता है, न संवरता है. गवाह हैं उसके पलकों पे मेरे आंसू, वो अब भी याद मुझे करता है. दूर जाकर भी भाग नहीं सकता मुझसे, अक्सर अपने दिल में मुझे ढूँढा करता है. ख़ामोश कब रहा है वो मुझसे, तन्हाई में मुझसे ही बातें करता है. मेरी मौजूदगी का एहसास उसे पल पल है, बाहों में ख़ुद को यूँही नहीं भरता है. मेरे लम्स में लिपटे अपने हाथों में, चाँद सी सूरत को थामा करता है. जी लेगा वो मेरे बिन फ़कीर, सोचकर, कितनी बार वो मरता है.

मदारी

अरे! हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो! तेरा पिटारा, है जग सारा, दुनियादारी हो तेरे इशारे का सम्मान करें ख़ुद हनुमान तुम मांगो भीख तेरे कब्ज़े में भगवान ईश का करतब इंसान और ईश इंसानी कलाकारी हो   हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो! आस्तीन सा एक पिटारा सांप हम जै सा तुम्हारा सर पटके बार बार विष उगलने को तैयार न ज़हर उगल आज मत बन रे समाज काटने- कटने की ये बीमारी हो हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो! तेरे जमूरे- आधे अधूरे भूखे - नंगे , हर हर गंगे हाथसफाई के उस्ताद पर लगे कुछ न हाथ जीने के लिए जान लगाएं ज़ख्म से ज़्यादा कुछ न पाएं हवा खाएं साएं – साएं बचपन के सर चढ़ गयी ज़िम्मेदारी हो हे मदारी! रे मदारी! रे मदारी! हो!
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