यूं बच बचा के मैं तेरा रूप देखूं
आईने में जैसे खुली धूप देखूं
आईने में जैसे खुली धूप देखूं
पत्थरों में देवता देखती है दुनिया
पत्थरों में मैं मेरा महबूब देखूं
पत्थरों में मैं मेरा महबूब देखूं
सज़ा है *हिज़्र से पहले क़सम ख़ुदा
ख़ाब तेरे शब ओ सहर ख़ूब देखूं
ख़ाब तेरे शब ओ सहर ख़ूब देखूं
वो सुबह का फूल मैं रात का जुगनू ‘फ़क़ीर’
इश्क़ का वजूद इसके बावजूद देखूं
इश्क़ का वजूद इसके बावजूद देखूं
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