जिस शजर की हवाओं से पाती हैं ज़िन्दगी ये पतंगें
उन्हीं से लटक कर करेंगी कभी ख़ुदकुशी ये पतंगें
उन्हीं से लटक कर करेंगी कभी ख़ुदकुशी ये पतंगें
तजर्बे का है हुनर उड़ना हवा के साथ
मासूमियत का है फ़न बरख़िलाफ़ उड़ती ये पतंगें
मासूमियत का है फ़न बरख़िलाफ़ उड़ती ये पतंगें
छोटू के कॉपी के पन्नो को लग गया है पर
इल्म को दे रही हैं नयी उरूज़ -ए- बुलंदी ये पतंगें
इल्म को दे रही हैं नयी उरूज़ -ए- बुलंदी ये पतंगें
आसमां की बंजर ज़मीन को बना दें ये आशियाँ
आती रुतों के रंगीन गुलों सी खिलती ये पतंगें
आती रुतों के रंगीन गुलों सी खिलती ये पतंगें
तजुर्बे के आसमान में उड़ रही हैं मिसाइलें
मासूमियत के आसमान में हैं उड़ती ये पतंगें
मासूमियत के आसमान में हैं उड़ती ये पतंगें
पर से कब हैं उड़ते, उड़ाते हैं हौसले
सीखा गयी फ़क़ीर बेपर परवाज़ भरती ये पतंगें
सीखा गयी फ़क़ीर बेपर परवाज़ भरती ये पतंगें
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