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बयां -ए- जानां

वो जब बोलता है
तो बोलता है
कुछ ऐसे अंदाज़ में…

जैसे शबनम के
ढलकने का हो सलीका

हर लफ्ज़ लम्स हो
पहली कली का

जैसे कपास की
रूई उड़ी हो

लफ्ज़-लफ्ज़
बुलबुले की लड़ी हो ------ 1

वो जब बोलता है
तो बोलता है
कुछ ऐसे अंदाज़ में…

जैसे अगर
अल्फ़ाज़ टपक जाएं

तो उन पर
मक्खियां भिनभिनाएं

चाय में अगर
शक्कर कम हो

तो उसमें बस उसके
लफ्ज़ ही मिलाएं

डायबिटीज के मरीज़
ज़रा फासला से ही
उससे राब्ता बढ़ाएं ------- 2

वो जब बोलता है
तो बोलता है
कुछ ऐसे अंदाज़ में…

हर बार हौले से मानो
कुछ यूं कहता है

बात- बात पे
जैसे I LOVE YOU कहता है

ज़ख्मों की मरहम से
रफू करता है

चला भी जाए तो देर तक
मुझसे गुफ्तगू करता है

वो जब बोलता है
तो बोलता है
कुछ ऐसे अंदाज़ में… 3

Meaning:

शबनम – Dew  ढलकने – Drip  सलीका – Style  लम्स – Touch अल्फ़ाज़ – Words राब्ता – contact रफू – Patch 

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मेरी सूरत से वो इस क़दर डरता है. कि न आइना देखता है, न संवरता है. गवाह हैं उसके पलकों पे मेरे आंसू, वो अब भी याद मुझे करता है. दूर जाकर भी भाग नहीं सकता मुझसे, अक्सर अपने दिल में मुझे ढूँढा करता है. ख़ामोश कब रहा है वो मुझसे, तन्हाई में मुझसे ही बातें करता है. मेरी मौजूदगी का एहसास उसे पल पल है, बाहों में ख़ुद को यूँही नहीं भरता है. मेरे लम्स में लिपटे अपने हाथों में, चाँद सी सूरत को थामा करता है. जी लेगा वो मेरे बिन फ़कीर, सोचकर, कितनी बार वो मरता है.
सुनो! मैं बादलों के बादलों से लब लड़ाऊंगा यही ज़िद है कि अब आब से मैं आग पाऊंगा मुझे तुम छोड़ के जो जा रहे हो तो चलो जाओ करूंगा याद ना तुमको, मगर मैं याद आऊंगा थमाया हाथ उसके एकदिन शफ्फाक आईना मिरा वादा था उससे चांद हाथों पर-सजाऊंगा ज़रा देखूं कि अब भी याद आता हूं उसे मैं क्या कि अपनी मौत की अफवाह यारों मैं उड़ाऊंगा लड़ाऊं आंख से मैं आंख, वादा था मिरा उसको अजी पानी नहीं जानां, मैं मय में मय मिलाऊंगा बदन शीशे का तेरा और संगदिल भी तुही जानां तुझे तुझसे बचाऊं तो भला कैसे बचाऊंगा