बेशक़ आप होंगे ख़ुदा मगर,
हमें ख़ुदायी पर यक़ीन नहीं.
बुलंदी परिंदे की मजबूरी है कोई,
उसके पैरों तले जो ज़मीन नहीं.
चखकर देखा था मैंने, दोस्तों के अश्क़
पानी तो था मगर नमकीन नहीं.
झुर्रियों के पीछे, दुआ सा चेहरा
मिरी माँ से यहाँ कोई हसीन नहीं.
उसकी गोद में रखकर सर, आया ये ख्याल
बदनसीब ख़ुदा भी, मुझसा मुतमईन नहीं.
ठोकरों पर रखता है, दुनिया को वो फ़कीर,
अब बदहाली होगी इससे बेहतरीन नहीं.
हमें ख़ुदायी पर यक़ीन नहीं.
बुलंदी परिंदे की मजबूरी है कोई,
उसके पैरों तले जो ज़मीन नहीं.
चखकर देखा था मैंने, दोस्तों के अश्क़
पानी तो था मगर नमकीन नहीं.
झुर्रियों के पीछे, दुआ सा चेहरा
मिरी माँ से यहाँ कोई हसीन नहीं.
उसकी गोद में रखकर सर, आया ये ख्याल
बदनसीब ख़ुदा भी, मुझसा मुतमईन नहीं.
ठोकरों पर रखता है, दुनिया को वो फ़कीर,
अब बदहाली होगी इससे बेहतरीन नहीं.
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