सूरज जगा,
सुबह जगी...
उड़ते सरगम के कलरव से
नींद टूटी...
मैंने कहा
उठ जा रिमझिम
मंत्र सरीखा
"खुल जा सिमसिम"..
पलकों के दो परदे खुले
दो गहरी झीलें जगी
दो लचकदार नाज़ुक टहनियां,
बिखरे सावन
बटोरने लगी .
दो पंखुड़ियां फडफडायीं
मुझे देखा, मुस्कुरायीं...
सुबह सुबह
दिल ने कलेजा थाम लिया
चाँद ने ली अंगडायीं.....
सुबह सुबह
सुबह जगी...
उड़ते सरगम के कलरव से
नींद टूटी...
मैंने कहा
उठ जा रिमझिम
मंत्र सरीखा
"खुल जा सिमसिम"..
पलकों के दो परदे खुले
दो गहरी झीलें जगी
दो लचकदार नाज़ुक टहनियां,
बिखरे सावन
बटोरने लगी .
दो पंखुड़ियां फडफडायीं
मुझे देखा, मुस्कुरायीं...
सुबह सुबह
दिल ने कलेजा थाम लिया
चाँद ने ली अंगडायीं.....
सुबह सुबह
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