तुम्हारा ज़िक्र लबों पर दबा लेता हूँ
तुम्हारा रुख पलकों में छुपा लेता हूँ
साँसों में सरगोशी भी है
चुप चुप सी, धीमी धीमी
धड़कने भी चलती हैं अब
दबे क़दमों से, थमी थमी
बचा रहा हूँ तुम्हें
छिपा रहा हूँ तुम्हें
दुनिया से, रुसवाई से
कभी कभी
अपनी ही परछाई से
लेकिन ख़्वाब में तुझसे बातें करने की
आदत अक्सर मुझे डराती है
अब दिल में छुपाना मुमकिन नहीं
मुझसे तेरी खुशबू आती है.
मुझसे तेरी खुशबू आती है.
तुम्हारा रुख पलकों में छुपा लेता हूँ
साँसों में सरगोशी भी है
चुप चुप सी, धीमी धीमी
धड़कने भी चलती हैं अब
दबे क़दमों से, थमी थमी
बचा रहा हूँ तुम्हें
छिपा रहा हूँ तुम्हें
दुनिया से, रुसवाई से
कभी कभी
अपनी ही परछाई से
लेकिन ख़्वाब में तुझसे बातें करने की
आदत अक्सर मुझे डराती है
अब दिल में छुपाना मुमकिन नहीं
मुझसे तेरी खुशबू आती है.
मुझसे तेरी खुशबू आती है.
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